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Cadbury Chocolate Success Story In Hindi | John Cadbury




Cadbury Chocolate Success Story In Hindi | John Cadbury :-

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Cadbury Chocolate Success Story In Hindi | John Cadbury
दोस्तों अक्सर देखा गया है कि बच्चे ही नहीं बल्कि बड़े भी दूध, सब्जी और फल खाने से बचते हैं, लेकिन अगर उनके सामने वही चॉकलेट का ऑप्शन रखा जाए , तो शायद ही कोई भी इसे मना करेगा ।
इसका शानदार रंग, मख़मली चिकनी बनावट, महक और स्वाद जैसे बहुत सारे गुड है जो आसानी से सबको अपनी ओर खींच लेते हैं। और अगर हम चॉकलेट की बात कर ही रहे है तो सबसे पहले हमारे दिमाग जो ब्रांड आता है वो है कैडबरी,
यूँ तो आपको बहुत सारे चॉकलेट बाजारे में मिल जायेंगे लेकिन कैडबरी जैसा कोई भी नहीं | चाहे बात करें इसके डेयरी मिल्क की या फिर 5 स्टार की या फिर जेम्स को ही क्यों ना ले लें, इस चॉकलेट को टक्कर देने वाला इसके आस पास भी नजर नहीं आते |
और इसके स्वाद के साथ साथ इसकी स्टोरी काफी इंट्रेस्टिंग है, जिसे जानकार आपको बड़ा मजा आने वाला है |
तो चलिए दोस्तों बिना आपका जयादा समय लिए, हम दुनिया पर कई दशको से राज करने वाली चाकलेट कंपनी कैडबरी की जर्नी को शुरू से जानते है |
दोस्तों कहानी की शुरुवात होती ही जॉन कैडबरी नाम के एक बच्चे से, जिसका जन्म करीब 216 साल पहले ब्रिटेन के बर्मिघम में हुआ था |
जॉन एक quakers कुअकर्स धर्म से तलूक रखते थे, और इस धर्म के लोगों की अपनी अलग ही मान्यताये थी, वे चर्च या फिर किसी भी धार्मिक संस्था से नहीं जुड़े हुए थे | इश्वर और अपने बीच उन्हें किसी की भी मौजूदगी पसंद नहीं थी |
अपनी अलग मान्यता होने की वजह से उन्हें समाज में अलग नजरिये से देखा जाता था, ना ही उन्हें किसी अच्छे स्कुल में दाखिला मिलता और ना ही उन्हें कोई अच्छी जॉब, यहाँ तक की वे सेना में भी नहीं जा सकते थे |
उनके पास बचा कूचा सिर्फ एक ही ऑपशन था अपना खुद का बिजनस करना | इसी लिए अपने धर्म के स्कुल में पढ़ाई करने के बाद जॉन कैडबरी अपनी पाकेट मनी के लिए एक काफी शॉप पर काम करने लगे |
और फिर आगे चल कर 1824 में उन्होंने अपना खुद का दूकान खोला | जहाँ वे काफी, चाय और चाकलेट ड्रिंक बेचा करते थे |
अगले कुछ सालों के एक्स्पेरिंस के बाद उन्हें पता चला की चाय और काफी से ज्यादा उनके चाकलेट ड्रिंक को लोग पसंद कर रहे है | और फिर 1831 से उन्होंने चाय और काफी को छोड़ सिर्फ चाकलेट ड्रिंक पर फोकस करना शुरू कर दिया |
जिससे डिमांड बहुत तेजी से बढ़ने लगी और फिर उसी साल उन्होंने चाकलेट ड्रिंक के ही करीब 16 और भी वेराइटी अपने मेनू में ऐड कर दिये |
देखते ही देखते अगले 15 सालों में वे आस पास के सभी इलाको में, अपने स्पेशल कैडबरी चाकलेट ड्रिंक के लिए पसिद्ध हो चुके थे |
आगे चल कर 1847 में जॉन ने अपने भाई बेंजामिन को भी इस बिज़नस में शामिल कर लिया और फिर दोनों ने मिलकर ब्रिज स्ट्रीट में एक बहुत बड़ा कारखाना खोला |
दोस्तों केडबरी शुरू से ही अपने क्वालिटी के लिए जानी जाती है, इसी लिए 1854 में रानी विक्टोरिया ने उनके कंपनी को रॉयल वॉरंट का सट्रिफिकेट दे दिया |
दोस्तों बता दू की रॉयल वॉरंट का सर्टिफिकेट सिर्फ उन्ही उत्पादों को मिलता था जिनकी क्वालिटी बहुत ही अच्छी होती थी, और जिन उत्पादों को राजा महाराजा भी अपने प्रयोग में ला सकते थे |
धीरे धीरे कैडबरी अपने बेहतरीन उत्पादों की वजह से पुरे ब्रिटेन में प्रसिद्द हो गयी |
और फिर 1860 के आस पास बिजनस से सम्बंधित नोकझोक होने की वजह से भाई बेंजामिन ने जॉन कैडबरी से अलग होने का फैसला किया |
जिसके बाद जॉन की भी उम्र ढलती जा रही थी और फिर उन्होंने कंपनी का कमान अपने दो बच्चो रिचर्ड और जॉर्ज को दे दी |
दोस्तों किसी भी उत्पाद की सफलता को जारी रखने के लिए सबसे जरुरी है, समय के साथ परिवर्तन | रिचर्ड और जॉर्ज ने कम्पनी की कमान संभालने के बाद बहुत सारे नए- नए परिवर्तन किये, और वे काफी हद तक सफल भी रहे |
पुरे ब्रिटेन में अपना कब्ज़ा जमाने के बाद 1870 में कैडबरी को दुसरे देशों में भी भेजा जाने लगा |
इसी बीच 11 मई 1889 को कैडबरी के फाउंडर जॉन कैडबरी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया, और फिर अगले 10 सालों में उनके एक बेटे रिचर्ड की भी मृत्यु हो गयी |
जिसके बाद बचे जॉर्ज कैडबरी! जिन्होंने अपने रिटायर्मेंट से पहले एक ऐसा खोज किया जिसने कंपनी को एक नई उचाई पर पहुचा दी | जॉर्ज ने 1905 में कैडबरी की मशहूर डेयरी मिल्क चाकलेट का आविष्कार किया | जिसकी रिसर्च वे 1897 से ही कर रहे थे |
जॉर्ज कैडबरी डार्क चॉकलेट के साथ कुछ नया बनाने के लिए प्रयोग में लगे हुए थे | उन्होंने चाकलेट पाउडर में , चीनी और दूध मिलाया। और जब इसके मिक्सचर को चखा गया, तो इसमें कमाल का स्वाद था और जब इसे सुखाकर चखा गया तो स्वाद और भी जबरजस्त हो गया ।
और कुछ इसी तरह से कैडबरी की डेयरी मिल्क चॉकलेट बनी जो आज भी कैडबरी ब्रांड की सबसे चहेती चॉकलेट है |
1948 में आजादी के ठीक एक साल बाद कैडबरीज ने भारत में भी दस्तक दी, और यहाँ भी वह अच्छे quailty और टेस्ट की वजह से लोगो की आदत बन गयी | मौजूदा समय में केडबरी भारत में चॉकलेट कन्फेक्शनरी, बेवरेजेज, बिस्कुट, और कैंडी बनता है |
और अगर पुरे दुनिया की बात करें तो 50 से भी जयादा देशो में कैडबरी के चॉकलेट का बोलबाला है |
तो दोस्तों देखा ना आपने , कैडबरी जैसी मल्टीनेशनल चॉकलेट कंपनी का नीव एक ऐसे वयक्ति ने रखा जिन्हें ना तो अपनी मनपसंद स्कुल में पढ़ाई करने की आजादी थी और ना ही वो कोई अच्छी जॉब कर सकते थे | लेकिन उनका दृढ संकल्प ही था जो उनकी बनायीं हुई कंपनी आज इस मुकाम पर है |
उम्मीद है की आप भी कैडबरी के सक्स्ज स्टोरी से बहुत कुछ सीखने को मिला होगा |

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