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Domino’s Pizza Success Story In Hindi | Tom Monaghan

BY  ON may

Domino’s Pizza Success Story In Hindi | Tom Monaghan Biography :-

Domino's Pizza Success Story in hindi Tom Monaghan biography
Domino’s Pizza Success Story In Hindi
मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है,
हर पहलु ज़िन्दगी का इम्तिहान होता है,
डरने वालों को कुछ भी नहीं मिलता ज़िन्दगी में,
लड़ने वालों के कदमो में सारा जहाँ होता है
कुछ ऐसा ही फ़लसफ़ा रहा है डोमिनोज पिज्जा को शुरू करने वाले टॉम मोनाघन की |
दोस्तों जब भी हमारा पार्टी करने का मन होता है तो सबसे पहली पसंद जो हमारी होती है वो पिज़्ज़ा |
और पिज़्ज़ा का नाम लेते ही 30 मिनट गारंटी की सुविधा के साथ डोमिनोज सबसे पहले हमारे सामने होता है |
लेकिन क्या आप अपने इस फेवरेट पिज़्ज़ा ब्रांड की स्टोरी को जानते हैं ? अगर नहीं तो आपको जरूर जानना चाहिए, क्योंकि यह स्टोरी आपको पूरी तरह से मोटिवेट कर देगा |
तो चलिए दोस्तों बिना आपका ज्यादा समय लिए मैं आपको डोमिनोस की दुनिया की सैर करवाता हूं |
दोस्तों डोमिनोस पिज़्ज़ा की शुरुआत दो भाइयों ने मिलकर 1960 में एक छोटे से पिज़्ज़ा की दुकान से की थी, दरअसल डोमिनोस का फाउंडर टॉम मोनाघन को माना जाता है, जिनका जन्म 25 मार्च 1937 को अमेरिका के मिशिगन में हुआ था |
लेकिन पिता की जल्द ही मृत्यु हो जाने के बाद उनका ज्यादातर बचपन अनाथालय और रिश्तेदारों के घर पर बीता |
हालांकि इतने कठिनाई भरे बचपन में भी उन्होंने हार नहीं मानी और कॉलेज जाने तक किसी ना किसी तरीके से अपनी पढ़ाई लिखाई का जुगाड़ कर ही लिया |
और फिर कॉलेज कंप्लीट करने के बाद उन्होंने छोटी-छोटी नौकरियां करनी शुरू कर दी ताकि वे कुछ पैसे जुटा सकें,
क्योकि Tom की आंखों ने तो ऊंचाइयों का सपना देखा था..
छोटी मोटी नौकरियों से पैसे इकट्ठे हो जाने के बाद, थोड़े बहुत कर्ज ले कर उन्होंने अपने भाई के साथ मिल मिशिगन शहर में एक छोटी सी पिज़्ज़ा की दुकान खोली, जिसका नाम उन्होंने डोमिनिकस रखा |
लेकिन 8 महीने बाद ही उनके भाई जेम्स ने उनका साथ छोड़ दिया और वह अलग हो गए | एक्चुअली जेम्स दूकान के साथ साथ नौकरी भी करते थे, और उन्होंने दूकान में रिस्क लेना सही नहीं समझा, पता नहीं यह दूकान चले न चले |
जेम्स के जाने के बाद टाम को दुकान संभालने में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन जल्दी ही उन्होंने बखूबी इस काम को अंजाम दिया और होम डिलीवरी की शुरुआत करते हुए उन्होंने अपनी बिक्री को 8 गुना बढ़ा ददी |
आगे चलकर उन्होंने अपने मैन्यू में काफी अलग अलग तरह की पिज़्ज़ा भी ऐड कर दिए और लोगों ने भी इस बदलाव को दिल से पसंद किया |
जैसे जैसे फायदा बढ़ा तो टॉम ने अपने बिजनेस को भी बढ़ाना शुरू किया और 1965 में उन्होंने अपनी कंपनी का नाम बदलकर डोमिनोस पिज़्ज़ा कर दिया इसके साथ ही इसी साल उन्होंने 2 और भी स्टोर्स खोल लिए |
और अपने कुल 3 स्टोर्स को उन्होंने अपने लोगो में डॉट्स के रूप में दिखाया , वे चाहते थे की आगे चल कर जितने भी स्टोर्स बढ़ेंगे उतने ही डॉट्स बढ़ा लिए जायेंगे, लेकिन उनके स्टोर्स अविस्वश्नीय रूप से बढ़ने और उतने की डॉट्स को बढ़ाना संभव ही नहीं था |
हलाकि 1968 में उनके पहले स्टोर में आग लग गयी और टॉम मोनाघन को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा लेकिन टॉम ने किस्मत को दोष देने की बजाय उसी साल 5 और भी स्टोर्स खोल लिए |
लेकिन 1970 में खराब बिक्री और कुछ कानूनी झंझटों में पड़ने की वजह से डोमिनोज घाटे में जाने लगी | लेकिन आपको तो पता ही है की टॉम हार मानने वालों में से कहां थे,
उन्होंने कानूनी झंझटों से छुटकारा पा लिया और फिर 1973 में 30 मिनट गारंटी डिलीवरी का कांसेप्ट लाया |
जिसके बाद से ही कंपनी के प्रॉफिट में कई गुना उछाला गया और फिर 1978 तक डोमिनोस के 200 स्टोर्स खोल लिए गये |
और फिर अगले पांच सालों में 12 मई 1983 को डोमिनोज ने कनाडा में अपना पहला अन्त्रास्त्रिय स्टोर खोला और अगर अभी तक की बात करें तो डोमिनोस के पिज़्ज़ा का लुफ्त 75 देशो में करीब 11,000 स्टोर्स पर उठाये जा सकते है |
दोस्तों डोमिनोज की सफलता के पीछे का यह भी कारण है की इसने समय के अनुसार अपने आप को ढाला |
2007 में डोमिनोज ने ऑनलाइन और मोबाइल ऑर्डर बुक करने की शुरुआत की , तो वही अगले साल ही पिज्जा ट्रैकर एप के जरिये लोगों को ऑर्डर ट्रेक करने की भी सुविधा दी |
तो दोतों देख ना अपने टॉम मोनाघन ने संघर्सों के दम पर कैसे भी कर के एक छोटी सी दूकान खोली, और उस दूकान को आज मेहनत और लगन से किस मुकाम पर ला खड़ा किया |
मुझे उम्मीद है की टॉम मोनाघन के लाइफ से आपने भी बहुत कुछ सीखा होगा |

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