Mission Mangal Movie True Story | मिशन मंगल फिल्म की सच्ची कहानी

Mars Orbiter Mission जिसे की हम Mangalyaan के नाम से भी जानते है, यह एक ऐसा मिशन था जिसने भारतीय स्पेस एजेंसी को पूरी दुनिया में पहचान दिलाई. क्युकी भारत ने इस मिशन के जरिये कुछ ऐसा कर दिखाया था जिसे बड़े-बड़े विकसित देश भी करने में नाकाम रह चुके थे।
दरसल अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक पहुचने वाला भारत एकमात्र देश है, क्युकी कई देशों ने मंगल पर पहुंचने के लिए लगभग 51 मिशन छोड़े हैं जबकि इनमें से महज 21 ही कामयाब हुए । साथ ही पहली बार भारत के अलावा और कोई भी सफल नहीं हो सका था ।
और इस तरह, रूस अमेरिका और European Space Agency के बाद से भारत, Mars यानी की मंगल ग्रह पर पहुँचने वाला 4 था देश बन गया।
और दोस्तों बड़ी ही दिल्चस्प बात यह भी है कि इस मिशन को भारतीय स्पेस एजेंसी ने महज 450 करोड रुपए खर्च करते हुए ही पूरा कर लिया था, जो की नासा के द्वारा भेजे गए मार्स मिशन का दसवां हिस्सा है।
तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेगे Mars Orbiter Mission यानी Mangalyaan की पूरी कहानी जिससे प्रभावित होकर 15 August 2019 को मूवी Mission Mangal भी आ रही है और इस मूवी में अक्षय कुमार मुख्य भूमिका में दिखाई देंगे।

Mars Orbiter Mission जिसे की हम Mangalyaan के नाम से भी जानते है, यह एक ऐसा मिशन था जिसने भारतीय स्पेस एजेंसी को पूरी दुनिया में पहचान दिलाई. क्युकी भारत ने इस मिशन के जरिये कुछ ऐसा कर दिखाया था जिसे बड़े-बड़े विकसित देश भी करने में नाकाम रह चुके थे।
दरसल अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक पहुचने वाला भारत एकमात्र देश है, क्युकी कई देशों ने मंगल पर पहुंचने के लिए लगभग 51 मिशन छोड़े हैं जबकि इनमें से महज 21 ही कामयाब हुए । साथ ही पहली बार भारत के अलावा और कोई भी सफल नहीं हो सका था ।
और इस तरह, रूस अमेरिका और European Space Agency के बाद से भारत, Mars यानी की मंगल ग्रह पर पहुँचने वाला 4 था देश बन गया।
और दोस्तों बड़ी ही दिल्चस्प बात यह भी है कि इस मिशन को भारतीय स्पेस एजेंसी ने महज 450 करोड रुपए खर्च करते हुए ही पूरा कर लिया था, जो की नासा के द्वारा भेजे गए मार्स मिशन का दसवां हिस्सा है।
तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेगे Mars Orbiter Mission यानी Mangalyaan की पूरी कहानी जिससे प्रभावित होकर 15 August 2019 को मूवी Mission Mangal भी आ रही है और इस मूवी में अक्षय कुमार मुख्य भूमिका में दिखाई देंगे।
Mission Mangal Movie True Story (Start) –
तो दोस्तों मंगल ग्रह पर अपने यान को भेजने की तैयारी इसरो की तरफ से तब शुरू हुई जब 2008 में भेजा गया चंद्रयान-1, 8 November 2008 को सफलता पूर्वक चन्द्रमा के ऑर्बिट में पहुंच गया।
और यहाँ पर सफल हो जाने के कुछ दिनों के बाद ही 23 नवंबर 2008 को पहली बार, उस समय के इसरो अध्यक्ष माधवन नायर ने Manglyaan मिशन की घोषणा सार्वजनिक तौर पर की और फिर इस यान को तैयार करने के साथ ही इसे 28 अक्टूबर 2013 को Satish Dhawan Space Centre, Sriharikota से लांच करने की प्लानिंग होने लगी। लेकिन प्रशांत महासागर में खराब मौसम के वजह से इस मिशन को 28 अक्टूबर से 5 नवंबर 2013 तक स्थगित कर दिया गया।
दरसल इस यान का वजन करीब 1337 किलो था साथ ही इसमें इलेक्ट्रिक पावर Generate करने के लिए 3 Solar Panels और उर्जा को एकत्रित करने के लिए एक Lithium-Ion Battery भी लगी हुई थी।
इस सबके अलावा इस यान में Liquid Fuel Engine भी था जिसकी मदद से 440 Newton का थ्रस्ट Generate हो पाया और इसी थ्रस्ट से ही Mangalyaan को मार्स ऑर्बिट के अंदर Enter कराने का प्लान था।
और फिर 5 नवंबर को जैसे ही घड़ी की सुइयाँ दोपहर 2 बजकर 39 मिनट पर पहुंचीं, वैसे ही Pslv C-25, मार्स ऑर्बिटर नाम के उपग्रह को लेकर अंतरिक्ष की ओर रवाना हो गया।
और दोस्तों मंगलयान को बेसिकली तीन Steps से होकर गुजरना था, जिसमे सबसे पहले इस यान को 4 हफ्ते तक धरती का चक्कर लगाना था, जिससे की वह धीरे-धीरे पृथ्वी की से दूर होता चला जाए.
और फिर यह प्रोसेस सही से हो जाने के बाद, जब यान पृथ्वी के ऑर्बिट से बाहर हो गया तो इसका सातवां इंजन चालु किया गया जिससे की इस यान को मंगल ग्रह की तरफ धकेला जा सके और फिर तीसरे स्टेप में 21 सितंबर 2014 को इसे मंगल की ऑर्बिट में प्रवेश कराया गया।
और इस तरह से 24 सितम्बर 2014 को भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने पूरी दुनिया को बता दिया की हम भारतीय भी किसी से कम नहीं है। क्युकी यह पहला मौका था जब किसी देश के द्वारा भेजा गया Mars Mission अपने पहले प्रयास में ही कामयाब हो गया था।
और दोस्तों इस मिशन की बड़ी ही दिलचस्प बात यह भी है, की इसकी लागत भारतीय रुपयों के हिसाब से करीब 450 करोड़ रुपये थी। जो की नासा के द्वारा भेजे गए यान से 10 गुना कम और चीन तथा जापान के द्वारा भेजे गए अफसल मार्स मिशन का एक चौथाई भर है।
और दोस्तों भारतीय Mangalyaan पर, मीथेन सेंसर, थर्मल इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर, मार्स कलर कैमरा और लमेन अल्फा फोटोमीटर की तरह ही बहुत सारे डिवाइसेज लगे हुए थे।
जिसने की मंगल ग्रह के सर्फेस की फोटो लेने, मीथेन तथा कार्बन डाईऑक्साइड का अध्ययन करने और खनिज का पता लगाने जैसा ही कई सारे कामो को लाजवाब तरीके से अंजाम दिया गया और इस तरह से भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक की दुनिया में एक नया मुकाम हांसिल कर लिया।
और दोस्तों मंगलयान मिशन के इसी सफलता को ही बड़े पर्दे पर लेकर आ रहे है, Jagan Shakti. जिनकी मूवी Mission Mangal, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रिलीज होने वाली है।
लेकिन दोस्तों अंत में बस मैं यही कहना चाहता हूँ भारत ने अभी हाल ही के सालों में जिस तरह से Space Technology में सफलता हांसिल की है वह काबिलेतारीफ है और हम आशा करते है कि आने वाले सालों में इसरो हर मिशन में इसी तरह से ही सफलता हांसिल करेगा।
तो दोस्तों मंगल ग्रह पर अपने यान को भेजने की तैयारी इसरो की तरफ से तब शुरू हुई जब 2008 में भेजा गया चंद्रयान-1, 8 November 2008 को सफलता पूर्वक चन्द्रमा के ऑर्बिट में पहुंच गया।
और यहाँ पर सफल हो जाने के कुछ दिनों के बाद ही 23 नवंबर 2008 को पहली बार, उस समय के इसरो अध्यक्ष माधवन नायर ने Manglyaan मिशन की घोषणा सार्वजनिक तौर पर की और फिर इस यान को तैयार करने के साथ ही इसे 28 अक्टूबर 2013 को Satish Dhawan Space Centre, Sriharikota से लांच करने की प्लानिंग होने लगी। लेकिन प्रशांत महासागर में खराब मौसम के वजह से इस मिशन को 28 अक्टूबर से 5 नवंबर 2013 तक स्थगित कर दिया गया।
दरसल इस यान का वजन करीब 1337 किलो था साथ ही इसमें इलेक्ट्रिक पावर Generate करने के लिए 3 Solar Panels और उर्जा को एकत्रित करने के लिए एक Lithium-Ion Battery भी लगी हुई थी।
इस सबके अलावा इस यान में Liquid Fuel Engine भी था जिसकी मदद से 440 Newton का थ्रस्ट Generate हो पाया और इसी थ्रस्ट से ही Mangalyaan को मार्स ऑर्बिट के अंदर Enter कराने का प्लान था।
और फिर 5 नवंबर को जैसे ही घड़ी की सुइयाँ दोपहर 2 बजकर 39 मिनट पर पहुंचीं, वैसे ही Pslv C-25, मार्स ऑर्बिटर नाम के उपग्रह को लेकर अंतरिक्ष की ओर रवाना हो गया।
और दोस्तों मंगलयान को बेसिकली तीन Steps से होकर गुजरना था, जिसमे सबसे पहले इस यान को 4 हफ्ते तक धरती का चक्कर लगाना था, जिससे की वह धीरे-धीरे पृथ्वी की से दूर होता चला जाए.
और फिर यह प्रोसेस सही से हो जाने के बाद, जब यान पृथ्वी के ऑर्बिट से बाहर हो गया तो इसका सातवां इंजन चालु किया गया जिससे की इस यान को मंगल ग्रह की तरफ धकेला जा सके और फिर तीसरे स्टेप में 21 सितंबर 2014 को इसे मंगल की ऑर्बिट में प्रवेश कराया गया।
और इस तरह से 24 सितम्बर 2014 को भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने पूरी दुनिया को बता दिया की हम भारतीय भी किसी से कम नहीं है। क्युकी यह पहला मौका था जब किसी देश के द्वारा भेजा गया Mars Mission अपने पहले प्रयास में ही कामयाब हो गया था।
और दोस्तों इस मिशन की बड़ी ही दिलचस्प बात यह भी है, की इसकी लागत भारतीय रुपयों के हिसाब से करीब 450 करोड़ रुपये थी। जो की नासा के द्वारा भेजे गए यान से 10 गुना कम और चीन तथा जापान के द्वारा भेजे गए अफसल मार्स मिशन का एक चौथाई भर है।
और दोस्तों भारतीय Mangalyaan पर, मीथेन सेंसर, थर्मल इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर, मार्स कलर कैमरा और लमेन अल्फा फोटोमीटर की तरह ही बहुत सारे डिवाइसेज लगे हुए थे।
जिसने की मंगल ग्रह के सर्फेस की फोटो लेने, मीथेन तथा कार्बन डाईऑक्साइड का अध्ययन करने और खनिज का पता लगाने जैसा ही कई सारे कामो को लाजवाब तरीके से अंजाम दिया गया और इस तरह से भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक की दुनिया में एक नया मुकाम हांसिल कर लिया।
और दोस्तों मंगलयान मिशन के इसी सफलता को ही बड़े पर्दे पर लेकर आ रहे है, Jagan Shakti. जिनकी मूवी Mission Mangal, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रिलीज होने वाली है।
लेकिन दोस्तों अंत में बस मैं यही कहना चाहता हूँ भारत ने अभी हाल ही के सालों में जिस तरह से Space Technology में सफलता हांसिल की है वह काबिलेतारीफ है और हम आशा करते है कि आने वाले सालों में इसरो हर मिशन में इसी तरह से ही सफलता हांसिल करेगा।
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