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Rajat Sharma Biography in Hindi | Aap Ki Adalat


BY  ON may

Rajat Sharma Biography in Hindi | Aap Ki Adalat :-

Rajat Sharma Biography in Hindi  Aap Ki Adalat
Rajat Sharma Biography in Hindi Aap Ki Adalat
बेटा, तुम किसी और को देखने के लिए लोगों के घरों में टीवी देखने जाते हो
अगर हिम्मत है, तो कुछ ऐसा करके दिखाओ, जिससे लोग, तुम्हें टीवी पर देखें
दोस्तों यही वह लाइन थी, जिसने एक बेहद ही गरीब परिवार के बच्चे को, टेलीविजन का जाना-माना चेहरा बना दिया |
मैं बात कर रहा हूं इंडिया टीवी के चेयरमैन और चीफ एडिटर रजत शर्मा की | जिनका शो “आप की अदालत” आज कई दशकों से बहुत ही प्रसिद्ध है | और इस शो में उनके प्रश्न पूछने का अंदाज कुछ ऐसा होता है, कि उन के हर सवाल का जवाब भी मिल जाए और कोई बुरा भी ना माने |
लेकिन दोस्तो आज इतने प्रसिद्ध हो चुके रजत शर्मा के शुरुआती जीवन के बारे में बहुत ही कम लोग जानते होंगे…
जिन्होंने बेहद ही गरीबी में अपना बचपन बिताया |
एक कमरे एक छोटे से मकान में अपनी बड़ी सी फैमिली के साथ उन्होंने गुजारा किया |
रेलवे स्टेशन की लाइट में उन्होंने पढ़ाई करी |
लेकिन दोस्तों किसी ने सच ही कहा है कि “वह सफलता ही क्या जो बिना संघर्ष के मिल जाए, जो लोग अपनी लाइफ में जितना स्ट्रगल करते हैं वह अपनी लाइफ में उतना ही आगे जाते हैं |

तो दोस्तों रजत शर्मा का जन्म 18 फरवरी 1957 को दिल्ली में हुआ था | वे अपने माता पिता 5 भाई और एक बहन के साथ पुरानी दिल्ली के सब्जी मंडी के पास एक छोटे से मकान में रहते थे |
और दोस्तों उसे मकान ना कहा जाए तो ही अच्छा है क्योंकि दरअसल वह 100 स्क्वायर फिट का एक कमरा था | जहां पर 9 लोग सो भी नहीं पाते थे | इसीलिए एक के ऊपर एक तख़्त लगाकर उन्हें सोना पड़ता था |
ना तो नहाने के लिए पानी मिलता और ना ही बिजली की व्यवस्था इसीलिए नहाने के लिए उन्हें मुनिसिपलिटी के नल पर जाना पड़ता था और रात में पढ़ाई के लिए वे स्टेशन चले जाते थे |
लेकिन रजत हमेशा से पढ़ाई में अच्छे थे क्योंकि उन्हें पता था कि अगर इस गरीबी से छुटकारा पाना है तो इसका एक ही उपाय है :- पढ़ाई करना जिससे कि आगे चलकर अच्छी सी जॉब मिल सके |
उन्होंने अपने शुरुआती पढ़ाई पास के ही एक मुनिसिपलिटी स्कूल “सनातन धर्म स्कूल” से करी | और दोस्तों उस टाइम बहुत ही कम लोगों के पास TV हुआ करती थी | जाहिर सी बात है रजत का गरीब परिवार भी टीवी अफोर्ड नहीं कर सकता था | इसीलिए रजत अक्सर अपने पड़ोसी के वहां टीवी देखने चले जाया करते थे |
लेकिन एक दिन रजत जब शहीद मूवी देखने अपने पड़ोसी के वहां गए तो उन्होंने घर का दरवाजा बंद कर लिया | रजत निराश होकर अपने घर वापस आए और यह बात अपने पिता को बताई, तभी उनके पिता ने कहा :-
बेटा, तुम किसी और को देखने के लिए लोगों के घरों में टीवी देखने जाते हो
लेकिन अगर हिम्मत है, तो कुछ ऐसा करके दिखाओ, जिससे लोग, तुम्हें टीवी पर देखें
बस फिर क्या था यह बात रजत ने अपने मन में ठान ली, की वे कुछ ना कुछ जरुर करके दिखाएंगे | आगे चलकर रजत ने करोल बाग के रामजस स्कूल से पढ़ाई करी, जहां पर पैदल ही जाया करते थे, लेकिन जब कॉलेज में पढ़ाई की बारी आई तो उनके पास उतने पैसे नहीं थे की वे अपना फी भर सके |
तभी उनके सीनियर अरुण जेटली ने उनकी हेल्प करी और रजत ने भी बच्चो को ट्यूशन पढ़ना शुरू किया | और दोस्तों जिस अरुण जेटली की मै बात कर रहा हूँ, वे मौजूदा समय में भारतीय के फाइनेंस मिनिस्टर है |
कुछ इसी तरह से रजत ने श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से अपनी ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कंप्लीट की | और साथ ही वे अपने कॉलेज के ही दौरान ही JP मूवमेंट से भी जुड़े थे | जिस वजह से इमरजेंसी लगने के बाद उन्हें कुछ महीने तिहाड़ जेल में भी बितानी पड़ी |
हलाकि कॉलेज कम्प्लीट हो जाने के बाद वे जॉब की तलाश में लग गए | और तभी उनकी मुलाकात हुई “जर्नलिस्ट जनार्दन ठाकुर” से जिन्होंने उसी समय ABP यानी आनंद बाजार पत्रिका छोड़ी थी और एक सिंडिकेट कॉलम लिखने की तैयारी कर रहे थे |
जनार्दन ने रजत को एक रिसरचर के तौर पर हायर कर लिया और उन्हें ₹400 हर महीने की सैलरी देने लगे | तभी रजत ने उनके लिए रिसर्च किये हुए कुछ टॉपिक्स को यूज करने के लिए उनसे परमिशन मांगी |
और फिर उन इंफॉर्मेशन के जेरिये उन्होंने ऑनलूकर के लिए पहले स्टोरी लिखी | जिसके लिए उन्हें कुल ₹300 मिले और उनका इंटरेस्ट इस फील्ड में और भी बढ़ गया |
आगे चल कर 1982 में रजत ने ऑनलूकर ही ज्वाइन कर ली, जहाँ उन्हें एक ट्रेनी रिपोर्टर के तौर पर शामिल किया गया था | लेकिन दो साल के अंदर ही अपनी काबिलियत और मेहनत के दम पर वे ब्यूरो चीफ बन गए |
और कुछ इसी तरह से अब धीरे-धीरे रजत की लाइफ पटरी पर लौट चुकी थी |
लेकिन रजत के लाइफ में सबसे बड़ी टर्निंग पॉइंट 1992 में आई जब दिल्ली से मुंबई की फ्लाइट में उनके कॉलेज फ्रेंड “गुलशन ग्रोवर” ने उन्हें जी नेटवर्क के चेयरमैन सुभाष चंद्रा से मिलाया |
तभी सुभाष से बातचीत के दौरान उनके दिमाग में अदालत की तरह इंटरव्यू लेने का आईडिया आया |हलाकि रजत प्रिंट मीडिया में तो काम कर चुके थे लेकिन टीवी में काम करना उनके लिए बिलकुल ही नया था, लेकिन उन्होंने बखूबी इस काम को अंजाम दिया |
और फिर 14 मार्च 1993 को आप की अदालत का पहला एपिसोड टेलीकास्ट किया गया | जिसमे लालू प्रशाद यादव गेस्ट थे | और उस समय उनकी प्रशिधि चरम पर थी |
यहीं से धीरे-धीरे कर के यह शो इतना पोपुलर हो हुआ की रजत एक स्टार बन गए |
आगे चल कर 2004 में उन्होंने खुद का न्यूज चैनल शुरू किया, हलाकि शुरुवाती दिन उनके लिए अच्छे नहीं रहे, यहाँ तक तक की उन्हें अपनी प्रॉपर्टीज बेच कर एम्प्लाइज को सेलरी देनी पड़ी |
लेकिन अपनी स्ट्रेटजी में बदलाव लाने के बाद इंडिया टीवी जल्द ही देश की सबसे बड़े न्यूज चैनलस में शामिल हो गया | और रजत शर्मा ने भी आप की अदालत शो अपने चैनल पर शिफ्ट कर लिया |
2015 में उन्हें भारत सरकार ने शिक्षा और साहित्य में योगदान के लिए भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सामान पदम् विभूषण से समानित किया |
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